West UP Wale

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Tuesday, 27 June 2023

Culture of Western Uttar Pradesh Villages

June 27, 2023 1
Culture of Western Uttar Pradesh Villages

पश्चिमी उत्तर प्रदेश: ग्रामीण संस्कृति और परंपराएं



पश्चिमी उत्तर प्रदेश भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख क्षेत्र है। यह क्षेत्र अपनी बेहद समृद्ध ग्रामीण संस्कृति, परंपराओं और विरासत के लिए मशहूर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में उन्नत खेती और कृषि पद्धतियाँ, विवाह संस्कृति, कला, हस्तशिल्प, आदिवासी संस्कृति, और स्थानीय खाद्य परंपरा के अद्वितीय आयाम हैं। इस लेख में हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ग्रामीण संस्कृति, परंपराएं, और महत्वपूर्णता पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में खेती और कृषि प्रमुख आयाम हैं। यहां के किसान अपनी मेहनत और कृषि पद्धतियों के द्वारा अद्वितीय रूप से उत्पादित फसलों के लिए पहचाने जाते हैं। धान, गेंहूं, दलहन और मक्का जैसी फसलें यहां के मुख्य खेती उत्पाद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का संघर्ष एक महत्त्वपूर्ण और प्रख्यातिप्राप्त मुद्दा है। यहां के किसान अपने पूर्वजों से सीखे हुए तकनीकों का उपयोग करते हैं और अपनी जमीन की खेती में मानवीय हाथों का प्रयोग करते हैं। उन्होंने अपनी अनुभव से एक सुगठित प्रणाली विकसित की है जिसमें उन्हें बेहतरीन उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलती है। किसानों के लिए गांवों में खेती एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक गतिविधि है, जो उनके परिवारों का आधार होती है।


इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह संस्कृति भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रामीण समाज में विवाह एक महत्वपूर्ण आयोजन होता है जिसमें धार्मिक और सामाजिक रस्में शामिल होती हैं। विवाह समारोह में रंग-बिरंगे पहनावे, गाने, नृत्य और शादी के खाने का आनंद उठाया जाता है। इन सभी आयोजनों में लोगों के अपने स्थानीय परम्परागत वेशभूषा, गीत, और नृत्यों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह एक शानदार अवसर है जब लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को समर्पित करते हैं और अपने ग्रामीण गर्भवासीय जीवन का आनंद लेते हैं। विवाह संस्कृति के माध्यम से, लोग अपनी समाजिक और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करते हैं और आपसी अटूट संबंध बनाते हैं।


ग्रामीण क्षेत्रों में कला और हस्तशिल्प भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कई प्रकार की कला और हस्तशिल्प की परंपराएं मौजूद हैं। यहां के कारीगर और कलाकार अपनी कौशल का प्रदर्शन करते हैं और अपने कार्यकौशल के माध्यम से स्थानीय वस्त्र, आभूषण, वस्तुएं और शिल्पकारी उत्पन्न करते हैं।


ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय खाद्य परंपराएं भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य विभिन्न तरह के स्थानीय खाद्य पदार्थों से भरा होता है, जो विभिन्न व्यंजनों, स्वादों, और परंपरागत विधियों के साथ तैयार किए जाते हैं। इन्हें स्थानीय खेतों से प्राप्त किया जाता है और इससे ग्रामीण समुदायों का आर्थिक विकास होता है। गांवों में आपको गर्म दूध, मक्के की रोटी, चाय, उरद दाल, रागी, बाजरे की रोटी, गुड़ और घी के उत्पाद आदि का स्वाद निकलने का अवसर मिलता है।


ग्रामीण संस्कृति और परंपराएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की शान हैं। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में समाज, रीति-रिवाज, स्थानीय खाद्य, कला-संस्कृति, और विवाह संस्कृति इत्यादि के माध्यम से सदियों से प्रजातंत्र की भूमि का गौरव बढ़ा रही हैं। इसलिए, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ग्रामीण संस्कृति को समझने और समर्पित करने का हर किसी को एक महत्वपूर्ण दायित्व होना चाहिए। इससे न केवल हम स्थानीय संस्कृति का सम्मान करेंगे, बल्कि हम एक समृद्ध और सामरिक समाज के निर्माण में भी मदद करेंगे।

Saturday, 22 April 2023

Peoples of Western Uttar Pradesh

April 22, 2023 0
Peoples of Western Uttar Pradesh



पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जिसे 'हिंदी बेल्ट' भी कहा जाता है, भारत के उत्तरी भाग में एक क्षेत्र है। यह उत्तर प्रदेश राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित है और मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर और गौतम बुद्ध नगर जैसे जिलों को शामिल करता है। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक महत्व और विविधता के लिए जाना जाता है।

सांस्कृतिक विरासत:

पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का घर है। यह विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और रीति-रिवाजों का एक मिश्रण है। इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं, और इसके स्मारक और ऐतिहासिक स्थल इसके महान इतिहास का सबूत हैं

यह क्षेत्र कला और शिल्प, जैसे ब्रासवेयर, वुडवर्क और पॉटरी के लिए फेमस है। हाथ का बुनाई उद्योग भी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश अनेक राज्यों के संगम पर स्थित है और यहाँ के लोग वैभवपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ अपने साथ लेकर चले आ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की आधारभूत संरचना बहुत समृद्ध है और इनकी जीवनशैली मूल्यों और संस्कृति से जुड़ी हुई है।

यहाँ के लोग बहुत समझदार और अधिकतर लोग अपने परंपरागत मूल्यों और संस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करते हैं। ये लोग स्वास्थ्य के प्रति बहुत सजग हैं और शारीरिक शुद्धि का ध्यान रखते हैं। इसके अलावा, उन्हें संगठित तरीके से काम करना पसंद होता है और वे जीवन का हर क्षेत्र में अधिकतम उत्साह और प्रगति के लिए तैयार होते हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग बहुत अधिक धार्मिक हैं और वे अपनी धार्मिक विरासत का सम्मान करते हैं। यहाँ के लोग बहुत सामाजिक हैं और उन्हें समाज में अपनी जगह बनाने का बहुत उत्साह होता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश भारत के बहुत सारे राज्यों के संगम पर स्थित है। यहाँ के लोगों की जीवनशैली, खान-पान, सांस्कृतिक विरासत, इतिहास और सामाजिक संरचना भी बहुत समृद्ध है।

यहाँ की राजधानी मेरठ है जो इतिहास और संस्कृति के लिए जानी जाती है। यहाँ पर रहने वाले लोग अपने संस्कृति और अधिकारों के लिए लड़ते हुए आज भी एक समृद्ध विरासत को जीवित रखने के लिए जूझते हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खान-पान की विशेषताएं भी बेहद खास हैं। यहाँ के लोग अपने खान-पान में मुख्य रूप से दूध, दही, घी, मक्खन, तिल और चावल का उपयोग करते हैं। यहाँ की खान-पान की विशेषताओं में से एक यह भी है कि यहाँ के लोग अपनी खान-पान में तेल का उपयोग नहीं करते हैं जो उनके स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है।

इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग अपने वस्त्रों और शैली को भी बढ़िया बनात हैं। यहाँ की महिलाएं विशेष रूप से सुंदर साड़ियां पहनती हैं जो उन्हें आकर्षक बनाती हैं। यहाँ के लोग अपने खुशबूदार इत्र भी बढ़िया बनाते हैं जो उन्हें दुनिया भर में पहचान देते हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग अपने जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देते हैं खेलों को भी। यहाँ के लोग विभिन्न खेल खेलते हैं जैसे कि कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट आदि। इन खेलों को खेलने से उन्हें स्वस्थ और मजबूत रखने में मदद मिलती है।

अंततः, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग बहुत गर्व करते हैं अपनी संस्कृति, विरासत, इतिहास और अपने सामाजिक मूल्यों पर। यहाँ के लोग दृढ़ता से अपनी ट्रेडीशनल रूट्स को संजोते हुए हैं और दुनिया भर में अपने लोक-संगीत, खान-पान, वस्त्र और इतिहास के बारे में जाने जाते हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की स्थानीय खान-पान की बात करें तो यहाँ की मुख्य व्यंजन हैं मक्खन और दही के साथ सेवियां और परांठे। यहाँ के परांठे भरपूर मक्खन और आलू के साथ भरे हुए होते हैं जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। इसके अलावा यहाँ के विभिन्न राज्यों से आने वाले लोगों के विशेष मूल्य हैं जैसे कि दिल्ली से चोले भटूरे, पंजाब से सरसों का साग और मक्की की रोटी आदि।

इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ बहुत ही प्रसिद्ध त्योहार होते हैं जैसे कि होली, दिवाली, ईद आदि। यहाँ के लोग अपने त्योहारों को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं और अपनी संस्कृति को बखूबी निभाते हुए अपने परिवार और दोस्तों के साथ उन्हें मनाते हैं।

इस प्रकार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अपना अलग महत्त्व है जो इसे दुनिया भर में अलग-अलग बनाता है। यहाँ के लोग अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज, खान-पान और विभिन्न विरासतों को संजोते हुए हैं

अंत में, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की जीवनशैली, संस्कृति, रीति-रिवाज और खान-पान से भरी विविधता इसे एक अलग-अलग जगह बनाती है। इसके साथ ही, यहाँ के लोग बहुत ही विनम्र और स्वाभिमानी होते हैं और वे अपने संस्कृति, रीति-रिवाज, और विरासतों को बचाने के लिए हमेशा तत्पर होते हैं। इसलिए, यह राज्य अपनी धरोहर के लिए भी जाना जाता है। यहाँ के लोग खुशहाल और खुशमिजाज होते हैं और अपने मित्रों और परिवार के साथ खाने-पीने और मनोरंजन का भी बहुत ही शौक रखते हैं।

इसी तरह, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेल के मैदानों की कमी नहीं होती है। यहाँ के लोग क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और बास्केटबॉल जैसे खेलों में बहुत ही प्रवीण होते हैं और इन्हें खेलने में बहुत ही रुचि रखते हैं।

समाज में पुरुषों और महिलाओं की भूमिका अलग-अलग होती है। महिलाएं अपने घरों के कामों और परिवार की देखभाल में अधिक लगी रहती हैं। पुरुष अपने शौकों और अपने परिवार के साथ अधिक वक़्त बिताते हैं। यहाँ के लोग बहुत ही संयमित और आत्मनिर्भर होते हैं।

इस प्रकार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता के जीवनशैली, संस्कृति, रीति-रिवाज और खान-पान आपको इस राज्य के बारे में एक अच्छी समझ प्रदान करती है।

Saturday, 13 June 2020

Krishanpal Hakla Biography in hindi , Western UP Wale

June 13, 2020 0
Krishanpal Hakla Biography in hindi , Western UP Wale

Krishan Pal Hakla Biography in Hindi 

कृष्णपाल हकला ।


कृष्णपाल हकला का जन्म 


कृष्णपाल जी का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के गाधी गांव में सन 1958 में हुआ था । और 10 मई 2019 की सुबह को उनका बीमारी के चलते निधन हो गया । उन के परिजन बताते है कि वो रात को परिवार के साथ सकुशल ही सोये थे , लेकिन सुबह वो नही जागे , वो बिस्तर पर मृत अवस्था मे मिले ।

कृष्णपाल हकला के चाहने वाले


कृष्णपाल जी को कृष्णपाल हकला के नाम से जाना जाता है  । तथा उनके चाहने वाले सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही नही बल्कि दिल्ली एनसीआर , हरयाणा ,ओर राजस्थान तक है ।उनकी फिल्म घोल्लु का ब्याह जिस में उन्होंने घोल्लु का किरदार निभाया था , उस फिल्म में उनका काम दुनिया भर सराहया गया था । जिस में जनेश्वर त्यागी उर्फ ताऊ बेहेरा ने भी काम किया था । और वो फ़िल्म अपने समय में सुपरहिट रही थी । उस के बाद उन्होंने उसका दूसरा पार्ट घोल्लु का गौना बनाया और वो भी सुपरहिट हुआ था । अब उन के निधन से पहले ही उन्होंने इस के तीसरे पार्ट घोल्लु का निकाह की शूटिंग पूरी करी थी ।

कृष्णपाल हकला का जीवन


उन ही के मित्र और साथी कलाकार जनेश्वर त्यागी जी ने बताया कि कृष्णपाल जी ने 35 साल तक अपने गांव और अपने क्षेत्र का नाम बढ़ाया ओर क्षेत्र के लोगो को वीडियो फ़िल्म द्वारा खूब हंसाया । ओर दूर दूर तक अपनी ओर अपने क्षेत्र की पोहच बनाई ।

कृष्णपाल हकला की फिल्में 


घोल्लू का ब्याह, पाखंडी बिल्लू, घोल्लू का गौणा, बहू का गुलाम, हकला बना आशिकबाज, कुनबा 420, रंगीला चाचा, बहू भाग गई घोल्लू की ,अकड़ , दूधिया हरामी ,  लंगड़े का ब्याह , तीन तिगाड़ू काम बिगाड़ू  सहित करीब पांच सौ कैसेट रिलीज हुए । उनके साथी जनेश्वर त्यागी जो उन ही के करीबी गांव पदडा के रहने वाले हैं । उन के साथ भी उन्होंने बोहत सी फिल्मे बनाई थी ।

कृष्णपाल जैसी नेचुरल एक्टिंग करने वाले कलाकार कम ही मिलते हैं । जिन्हें जो भी रोल दे दो वो बखूभी निभाते हैं । और दर्शकों द्वारा खूब पसंद किए जाते है । उन्होंने बागपत के छोटे से गांव में रहकर दूर दूर तक अपनी और अपनी मातृ भाषा की पहचान बढ़ाई  ।

Sunday, 19 January 2020

Shekhchilli ( Hari Ram Toofan ) wiki Biography

January 19, 2020 19
Shekhchilli ( Hari Ram Toofan )  wiki Biography

Hari Ram Toofan (Shekhchilli ) Full Biography 


Shekhchilli Full Biography


Introduction Of Shekhchilli ( Hari Ram Toofan )


हरी राम तूफ़ान ( शेखचिल्ली ) का असली नाम हरी राम गौतम है , और इनका जन्म जिला ग़ाज़ियाबाद के छोटे से गाँव किन्नापुर में हुआ था । और इनको बचपन से ही रागनी गाने का और नाटक करने का बोहत शोक था । जब हरी राम तूफ़ान ( शेखचिल्ली ) छोटे थे तब वो गाँव में होने वाले कार्यक्रमो में रागनी गया करते थे । मगर उनके पिताजी को यह बिलकुल भी पसंद नहीं था क्योंकि उनका मन पढाई में नहीं लगता था जिसके कारण वो सिर्फ आठवी कक्षा तक ही पढ़े । उन के पिताजी हरी राम तूफ़ान को रागनी गाने के लिया डाँटा करते थे । मगर जब गाँव वालों ने उन्हें बताया कि उनका लड़का बोहत अच्छा गाता है तो उन्होंने भी हरी राम तूफ़ान को सपोर्ट करना शुरू कर दिया ।


Start of Carrier


जब 90 के दशक में बड़ी बड़ी गानों की कम्पनियां गाने रिकॉर्ड कर के CD बना कर बेचने लगी तब हरी राम तूफ़ान को भी रागनी गाने का मौका मिला । फिर जैसे जैसे समय बदलता गया , और साल 1999 में वीडियो CD बन ने लगी तब कंपनियां छोटे छोटे नाटकों की और फिल्मों की वीडियो CD बना कर बेचने लगी , उस समय फिर से हरी राम तूफ़ान को फिल्मों में काम करने का मौका मिला और उन्होंने 3 - 4 फिल्मो में काम किया , मगर वो फिल्मे फ्लॉप हो गयी । और कम्पनी को भरी नुक्सान उठाना पड़ा । और कम्पनी ने हरी राम तूफ़ान को काम देना बंद कर दिया ।
फिर कुछ दिनों बाद कंपनी ने कुछ नया करने की सोची और , जो शेखचिल्ली की कहानिया हमारे दादा - बाबा सुनाते थे , उन्ही पर फिल्म बनाने की सोची । मगर उस समय के सभी सफल एक्टरों ने काम करने से मना कर दिया । और एक बार फिर से हरी राम तूफ़ान को मौका मिल गया ।

Character Of Shekhchilli


फिल्म के डायरेक्टर कुछ समझ नहीं आ रहा था कि शेखचिल्ली का गेट अप या ड्रेस कैसे होनी चाहिय्ये , और उन्होंने हरी राम तूफ़ान को लाल चहक की शर्ट , खाकी कच्छा और चप्पल पहना दी , और एक लंबी दाढ़ी लगा दी । यह देख कर हरी राम के दोस्तों ने उनका बोहत मजाक बनाया ये कह कर की ये क्या कार्टून बन गया तू , क्यों अपनी बेज्जती कर वा रहा है । मगर हरी राम ने उन की तरफ ध्यान नहीं दिया और काम करने लगे ।

Movies Of Shekhchilli


शेखचिल्ली की वह फिल्म सुपरहिट हो गयी और लोगो को बोहत पसंद आयी , और लोग और फिल्म बनाने की डिमांड करने लगे । और वो आज तक इसी गेट अप में फिल्म बना रहे है और आगे भी बनाते रहेंगे । शेखचिल्ली ने लगभग 400 से ज्यादा फिल्म बनाई है जैसे - शेखचिल्ली की अकल बड़ी या भैंस , शेखचिल्ली की कसम , शेखचिल्ली के जलवा , शेखचिल्लो और डॉक्टर डैन , शेखचिल्ली और चालबाज मदारी , शेखचिल्ली की शोले , शेखचिल्ली और करन अर्जुन , शेखचिल्ली की सिंघम और भी बोहत सी फिल्मे वो बना चुके है ।

Work of Shekhchilli


हरी राम तूफ़ान अभी तक 400 से ज्यादा फिल्म बना चुके हैं , और अभी तक 40 से ज्यादा कंपनीयो के साथ जैसे Sonotek Video , Chanda Cassette , Alka Music , rahul Music , Maina Cassettes के साथ काम कर चुके हैं , और आज तक एक भी फिल्म ऐसी नहीं बनायीं जो हम अपने पूरे परिवार के साथ बैठ कर ना देख पाये , और वो हर फिल्म की कहानी भी खुद ही लिखते है , किसी फिल्म में वो शेखचिल्लो को बोहत मुर्ख दिखा देते हैं , और किसी फिल्म में शेखचिल्ली को बोहत चालक दिखाते है । मगर जो भी हो उनकी फिल्म बोहत मनोरंजक होती है , बच्चे हो या बूढ़े सभी को पसंद आती है ।

Family Of Shekhchilli


शेखचिल्ली के 3 लड़कियां है और एक लड़का है और उनको पूरा परिवार उन्हें पूरा सुपोर्ट करता है । हरी राम तूफ़ान का कहना है कि जब तक मेरी सांस चलेगी लोगो को ऐसे ही हँसता रहूँगा । आज भी जब कोई शेखचिल्ली के बारे में बात करता है तो हमारे जहन में वही हरी राम तूफ़ान का भोला सा चेहरा , लाल चहक की शर्ट , खाकी रंग का कच्छा , लंबी दाढ़ी और हवाई चप्पल ही आती है ।

Friday, 17 January 2020

Santram Banjara Full Biography - Kishor Kumar Of West UP

January 17, 2020 3
Santram Banjara Full Biography - Kishor Kumar Of West UP

Santram Banjara Kishor Kumar Of West UP


Santram Banjara Biography
Santram Banjara Biography


Santram Banjara Introduction


Santram Banjara जी का जन्म 13 अगस्त 1971 को उत्तर प्रदेश बागपत के अह्मदशाहपुर पदडा गाँव में हुआ था , और उन को बचपन से ही गाने लिखने और गाने का शोक था । Santram Banjara जी Singer के साथ साथ Actor और Director भी हैं । और इतना ही नहीं इन को भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सह संयोजक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भी बनाया गया है ।

Starting of Carrier


Santram Banjara जी ने अपने कैरियर की शुरुआत 1993 में  करी थी जिसमें वो अपने समाज के ही किस्से जैसे रंडवो की रामलीला , घोल्लु का गौना , घोल्लु का ब्याह , बहु ले गयी छोरो ने , बहुओं का राज है इस तरह के नाटको की Audio CD Record कर के बेचते थे । फिर धीरे धीरे वो Video CD बना कर भी बेचने लगे थे । और इन्होंने कई फिल्म भी बनायीं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग हर कलाकार के साथ काम कर चुके हैं जैसे जनेश्वर त्यागी ( ताऊ बेहरा ) , कृष्णपाल हकला , जगेश्वर धामा , मुन्ना बाज सिहानी , कमल शर्मा , पुष्पा गुसांई , उत्तर कुमार ।


Dhakad Chora Movie


Santram Banjara जी ने उत्तर कुमार की सुपरहिट फिल्म धाकड छोरा में उन के बड़े भाई का किरदार निभाया था और उस फिल्म के लगभग सारे गाने भी गए थे । Santram Banjara जी ने उत्तर कुमार के साथ एक और फिल्म "म्हारा गाँव , म्हारा देश" में भी काम किया था मगर वह फिल्म ज्यादा नहीं चल पायी थी ।

Santram Banjara Songs & Albums


Santram Banjara जी ने T-Series कंपनी के लिए भी कई Album बनायीं है । जिसमे माता के भजन ( चुन्नी हम लाल लाये अम्बे माँ तेरे लिए , गंगा भजन )  , भोले बाबा के गाने ( बम बम करते जाना , बाला बजरंग बाला , बाबा चल हरियाणे में ) और देहाती किस्से ( म्हारी UP महान ) , भी शामिल है ।

Santram Banjara Movies


Santram Banjara जी ने अपनी भी बोहत सी देहाती फिल्मे बनाई हैं जैसे - टकराव , धाकड दंगल , बहु का बंटवारा , खोटा सिक्का , दहेज़ में बन्दूक , बवंडर , घर की इज्जत , सासु रेल में बहु जेल मैं , दूधिया हरामी , छिछोरा जमाई , देवर भाभी , और भी बोहत सी फिल्मे Santram Banjara जी बना चुके हैं ।

Santram Banjara जी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरयाणवी इंडस्ट्री में जी तोड़ मेहनत करने के बाद bollywood में भी अपनी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए एक  एक बॉलीवुड फिल्म भी बनाई थी ( लेके इश्क़ में रिस्क सनम ) मगर ये फिल्म ज्यादा नहीं चल पायी ।

Santram Banjara And BJP


Santram Banjara ने भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के लिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ऊपर भी बोहत से गाने बनाए हैं , ( BJP का बब्बर शेर , PM मोदी का पैगाम , योगी जी का धमाका ) जो की आज भी प्रधानमंत्री मोदी जी की रैलियों में चलते हैं ।

Santram Banjara Family


Santram Banjara जी का 1 लड़का ( Sumit Banjara ) और 1 लड़की ( Chanchal Banjara ) है  , और ये दोनों भी इन ही की तरह Singer और Actor हैं ।


कृष्णपाल हकला के बारे में विस्तार से जानें ।

Thursday, 16 January 2020

Uttar Kumar Dhama Full Biography Amitabh Bachhan Of West UP

January 16, 2020 1
Uttar Kumar Dhama Full Biography  Amitabh Bachhan Of West UP

Uttar Kumar Dhama Biography And Movies 

Uttar Kumar Dhama


Introduction And Early Life


Uttar Kumar Dhama पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक ऐसे कलाकार हैं जिनका नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा , राजस्थान , और दिल्ली में काफी मशहूर हैं। Uttar Kumar Dhama का जन्म 7 अक्टूबर 1973 को ग़ाज़ियाबाद के बेहटा गाँव में हुआ था । उन को बचपन से ही फिल्म देखने का बोहत शोक था और उन्हें धर्मेन्द्र जी बहुत पसंद थे , और उन्होंने जो अपने जीवन की पहली फिल्म देखी थी वो भी धर्मेन्द्र जी की ही थी , और Uttar Kumar Dhama धर्मेन्द्र जी को ही अपना आदर्श मानते है । और वही फिल्मे देख देख कर उन्हें एक्टिंग करने का जुनून चढ़ गया । मगर उन्हें घर से कोई सपोर्ट नहीं मिला जो की लाजमी भी था ,

Carrier Of Uttar Kumar Dhama

फिर Uttar Kumar Dhama पास ही के एक Primary School ( हरबीर बाल विद्यालय  ) में अध्यापक के तौर पर पढ़ाने लगे मगर उस में उन का मन नहीं लगा और करीब 1-2 साल बाद उन्होंने पढ़ना छोड़ दिया और जैसे - तैसे पैसो को इंतजाम करा और उन्होंने AAFT इंस्टिट्यूट में Admission ले लिया , और वहां से 1 साल का Film Making और Acting का कोर्स करा , और उसके बाद फिल्म बनाने लगे ।

शुरुआती कैरियर मे Uttar Kumar Dhama को निराश होन पड़ा क्योंकि उन की फिल्म लोगो को कुछ खाश पसंद नहीं आ रही थी जिसकी वजह से उन की बावली जैसी दो तीन फिल्मे फ्लॉप हो गयी ।

Success Of Uttar Kumar Dhama 


Uttar Kumar Dhama को उनकी पहली फिल्म धाकड़ छोरा जो की 2004 में आयी थी उस ने इतना प्रसिद्ध किया कि आज इस फिल्म के नाम से ही Uttar Kumar Dhama को जाना जाने लगा है ।

Uttar Kumar Dhama की फिल्म धाकड छोरा एक ऐसी फिल्म है जिसने हरयाणवी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की फिल्म इंडस्ट्री को बहुत ऊँचे स्तर पर पंहुचा दिया था । और इस फिल्म को UP की शोले कहा जाने लगा था , फिल्म चंद्रावल के बाद यह इकलौती ऐसी फिल्म है जो इतनी ऊँची बुलंदियों पर पहुँची थी । और कमाल की बात तो यह है कि ये फिल्म मात्र 4.5 लाख रुपए के बजट में बनी थी और इस फिल्म ने 8.5 करोड़ रुपयों से ज्यादा कमाये थे । और उसके बाद उन्होंने पूरी लगन से काम करना शुरू कर दिया और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा ।

Work Of Uttar Kumar Dhama


Uttar Kumar Dhama ने लगभग 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया जिसमें धाकड़ छोरा, बावली, अकड़, बेसबर, खड़ताल, अकड़बाज, करुणा, धर्मवीर, नटखट, लाटसाहब, हक़दार, फक्कड़ , कट्टो , झलक, बेधड़क, घमासान, असर, गड़बड़, खटका, ढिंग, तड़प, सेनापति, कुणबा, हम, डाक्का, निकम्मा, मन्नू धाकड मैन , हम दो भगोड़े, हद हो गई, धाकड़ छोरा-2 , Dear vs Bear , विकास की बहू , निखडू , अलझ पलझ जैसी बहुत सी फिल्म शामिल है। Uttar Kumar Dhama 2 मराठी फिल्मों में , 1 गुजरती फिल्म में , और एक बॉलीवुड की फिल्म अंकुश 2 में भी काम कर चुके है ।

Simplicity Of Uttar Kumar Dhama


Uttar Kumar Dhama जी अपनी फिल्मों में गाँव के बारे में , भाई-बहन, बाप-बेटे, माँ-बेटे, और अन्य पारिवारिक समस्याओं पर ही फिल्म बनाते हैं , और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की संस्कृति को और भाषा को ही दिखते हैं । पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खड़ी बोली को ठीक वैसे ही फिल्मों में उतारते है। जैसा हक़ीक़त में होती है। दूसरे बॉलीवुड फिल्म अभिनेताओं की तरह उत्तर कुमार धामा कभी भी फिल्मों को मनोरंजक बनाने के लिए बढ़ा चढ़ा कर नहीं दिखाते और कहानी का फिल्मीकरण नहीं करते ।

वह असल जिन्दगी में जो घटनाये घटित होती हैं उन ही को अपनी फिल्मों में दिखाते है। उत्तर कुमार इकलौते ऐसे कलाकार और डायरेक्टर है जिन्हें लो बज़ट की फिल्मों में बड़ी कामयाबी मिलती है । उत्तर कुमार धामा अपनी फिल्मों को सिर्फ सामाजिक सन्देश देने के मकसद से ही बनाते हैं । और इस तरह से बनाते है कि पूरा परिवार एक साथ बैठ कर उसे देख सके ।

Songs Of Uttar Kumar Dhama


Uttar Kumar Dhama बहुत से हरयाणवी गानों में भी काम कर चुके हैं जो की Hit गाने साबित हुए
जैसे - बाहण का रोला , टोक , बहम , मैडम क्यूट

Uttar Kumar Dhama पश्चिमी उत्तर प्रदेश , हरयाणा , राजस्थान और Delhi NCR के सुपरस्टार हैं

संतराम बंजारा के बारे में विस्तार से जाने  

शेखचिल्ली के बारे में विस्तार से जानें